Sunday, May 9, 2010

मदर्स डे के बहाने- माएँ आ गई हैं !


मदर्स डे.......माँ के लिए निर्धारित एक दिन...मेरी माँ के लिए शुरू से ये दुकानदारी चलाने का दिन था। सासूँ माँ के लिए टीचर्स डे की ही तरह एक दिन जब उन्हें उनकी कुछ छात्राएँ ग्रीटिंग कार्ड देती थीं......और मेरे लिए? मैं उन बच्चों में से हूँ जिसने माँ बनने के बाद भी अपनी माँ या कहूँ कि माओं का आँचल नहीं छोड़ा। शादी के बाद एक की जगह दो माँए नसीब से मिल गईं। अब एक की जगह दो आँचल थे। मैं अपनी माँओं के बिना जिंदगी ही नहीं जी सकती। यहाँ न्यूजीलैंड में जब कोई साथी कहता है कि सही है तुम्हारें पिता और ससुर नहीं है तो तुम ही उनका सहारा हो तो हँसी आती है...मैं और माँओं का सहारा........मैंने तो आज भी उनके बिना चलना नहीं सीखा। बाहर लोगों को लगता है इंड़ीपेंडेंट हूँ वहीं मुझे लगता है मैं पूरी तरह से माँ पर डिपेंडेंट हूँ। इस बार जब दोनों माओँ को छोड़कर न्यूजीलैंड आना पड़ा तो मन बैठ गया था....माँ रूँधें कंठ से बोली थी जा अब बड़ी हो गई हैं, अब पल्लू पकड़ना छोड़ लेकिन मैं कहाँ छोड़ पाई। न्यूजीलैंड आते ही कवायद शुरू कर दी कि कैसे भी हो दोनों माँओं को न्यूजीलैंड बुलवा लूँ।


सासूँ माँ का पासपोर्ट बना हुआ था उनका झट वीजा हो जाता लेकिन माँ का तो पासपोर्ट नहीं बना था। फिर पता चला की एमए इतिहास की टॉपर माँ की वह मार्कशीट ही खो चुकी है जिसमें उनकी जन्म दिनांक दर्ज है। उपर से मैं उनसे सात समुंदर पार...कुछ करने में असमर्थ...एक लंबी कवायद के बाद माँ का पासपोर्ट बन पाया फिर उस पर वीजा का ठप्पा लगा....और छट दोनों माएँ सात समुंदर पार कर मेरे पास पहुँच गईं....और फिर आया मदर्स-डे। यहाँ विदेश में मदर्स डे...वो भी संडे के दिन। हम सब हल्की ठंड़ में रजाई ताने सो रहे थे ...इसी बीच दादी-नानी के कमरे से नन्हें आयुष की हँसने की आँवाजें आनी लगी औऱ कुछ ही पल में हँसता-खेलता आयुष मम्मा ऑख बंद करों सरप्राइज कहता हुआ स्कूल में बनाया मदर्स डे कार्ड जो उसने बड़ी मुश्किल से मेरी नजर से छिपा कर रखा था मेरे सामने कर दिया औऱ बोला हैप्पी मदर्स डे मॉम। मैं मुस्कुरा दी और दोनों माँओं की ओर देखकर कहाँ देखों माँ बच्चू का मदर्स डे शुरू । आयुष ने कहाँ मम्मी दादी-नानी का मदर्स डे कब होगा। मैं कुछ बोलती उससे पहले ही नानी बोल उठी अरे कहाँ एक दिन से हम बूढ़ों का पेट भरेगा। हमारे लिए तो हर दिन मदर्स डे है। माँ के इन शब्दों ने कॉलेज की याद दिला दी जब पहली बार मदर्स डे का बुखार हम बहनों पर चढ़ा था और पापा ने कहाँ था बेटा ये पश्चिमी चोंचले हैं अपने देश में हर दिन मदर्स डे है। बस प्यार और सम्मान से माँ के आगे सिर झुका लो हो गया मदर्स डे पूरा। आज माँ के मुख से यह पंक्तियाँ सुनकर लगा कि झट से एकबार फिर माँ के आँचल में अपना सिर छिपा लूँ।
अगली पोस्ट में माएँ और न्यूजीलैंड में जमकर धमाल