Saturday, November 29, 2008

एक पाती भईया राज के नाम...

राज ठाकरे जी कदाचित नाराज होंगे....मैंने उन्हें उत्तर भारतियों की तरह भईया जो कह दिया। क्या करूँ, रहती मध्यप्रदेश में हूँ लेकिन दोस्त पूरे देश में फैले हैं...तो भईया राज आप कौन सी कुंभकर्णी नींद में सोए हो। मुंबई जल रही है लेकिन आप नजर नहीं आए। क्यों घर में दुबके रहे। हम इंदौर में रहते हैं। हमारे इंदौर को माँ अहिल्या के नाम से जाना जाता है इसकी पहचान इंदूर के रूप में थी। यदि आप यहाँ होते तो मिनी मुंबई कहलाने वाले इंदौर की तरक्की की जगह इंदौर को इंदूर बनाने में तुले रहते। हमारे धर्मनिरपेक्ष कुटुंब में सासू माँ महाराष्ट्रियन हैं...वे आपसे खासी खफा हैं। वे हमेशा कहती हैं आप देश बाँट रहे हैं...जहाँ चार बर्तन हो खटकते हैं लेकिन बर्तन बाहर फेंक दिए जाएँ तो रसोई कैसे बनेगी। हमारे परिचितों के घर होने वाली महाराष्ट्रियन संगोष्ठी में भी आपको आपकी नीतियों को कोसा जाता है।


कल ऐसी ही एक संगोष्टी हमारे घर में थी जिसमें मुंबई में शहीद सभी देशभक्तों को श्रद्धांजली दी गई। श्रद्धांजली में 85 वर्षीय बुजुर्ग दंपत्ति जिन्हें हम प्यार से आत्या और आतोबा भी शामिल थे। हम तो कुछ ही देर के लिए वहाँ जा सके लेकिन जो देखा-सुना वो आप तक पहुँचा रहे हैं। आतोबा अपने धीमें स्वरों में बड़बड़ा ( आप जैसे नौजवान यही कहेंगे) रहे थे '' अरे, राज ठाकरे कहाँ हैं, उसे नींद से जगाओं। मुंबई से उत्तर भारतियों को निकालने में, बेकसूर छात्रों की पिटाई करने में तो बेहद आगे थे। लेकिन अब जब आमची मुंबई के सम्मान पर हमला किया जा रहा है तब वे कहाँ छिपे हैं। ठीक है, आतंकियों से मुकाबला नहीं कर सकते लेकिन बाहर से ही सही कम से कम सेना के जवानों और कमांडों को भोजन-पानी ही पहुँचा देते। सड़क पर निकलकर मुंबई वासियों को विश्वास ही दिला देते कि मुसीबत के समय में उनका नेता उनके साथ हैं।''


वहीं आत्या आशा मोघे जो खुद रिटायर्ड प्रिसंपल रही हैं ठेठ मराठी में बोली मैं हिंदी मे अनुवाद लिख रही हूँ '' यदि मेरा राज जैसा बेटा होता तो अहिल्या माँ की तरह हाथी के पाँव के नीचे कुचलवा देती। नाकारा आज मुंबई को उसकी जरूरत है। वो ये क्यों भूल रहा है कि आज मुंबई की रक्षा सेना कर रही है। जिसमें हर धर्म के लोग हैं। शहीद होने वाले जाँबाजों में भी हर धर्म के लोग हैं'' , तो भईया राज अब आप बताओं आपके पास हमारे आत्या-आतोबा के सवालों के कुछ जवाब है।


हम तो यहीं कहेंगे कि यह हादसा आपको सबक सिखा जाएँ। आप हमारे भारत को बाँटने का काम छोड़े और अब उत्तरभारतियों नहीं बल्कि आतंकवादियों के खिलाफ मुहिम छेडे़..मानती हूँ आप जैसे राजनीतिज्ञ से उम्मीद ज्यादा कर रही हूँ लेकिन जानती हूँ उम्मीद पर ही दुनिया टिकी है।