Saturday, December 20, 2008

कुछ अहसास...



" कुछ अहसास ओस की बूंदो के जैसे
करते है रुह को ताजा ...


कुछ अहसास ठंडी हवा की तरह
देते हैं मन की अगन को सुकून...


कुछ अहसास भीगे होठों की तरह
भरते हैं बंजर जमी में नमी...


कुछ अहसास प्रेम की बूँदों के जैसे
आंखों से बहने से पहले संभल जाते हैं...


गिर के जमी पर होगी उनकी रुसवाई
इसलिए आँखों में इन मोतियों को छुपा लेती हूँ।।"


(इन अहसासों को मन के कंदराओं में कहीं छिपा कर रखा है..लेकिन लाख छिपाने के बाद भी ये अहसास मेरे चेहरे की मुस्कुराहट में झलक जाते हैं...)