लेकिन बुद्ध बनना .....
15 years ago
जिंदगी का एक ही मकसद है स्वच्छ, शीतल, स्वछंद नदी की तरह बहते जाना। बहते-बहते कई अवरोध बीच में आ जाते हैं, जिन्हें मेरी लहरें मिटा देने का माद्दा रखती हैं लेकिन कभी-कभी मन में कसक उठती है...बस उन्हें सहेजना चाहती हूँ...
20 comments:
बहुत उम्दा ख़्याल!
आपने अपने ही अंदाज़ में लिखा है एहसासों को
बहुत खूब
मैंने भी आज ही एहसास के बारे में कुछ लिखा है
फोटोज सुंदर हैं।
कुछ अहसास प्रेम की बूँदों के जैसे
tum to gahrai selikhti ho..badhiyaabadhai
bahut bhadiya likha hai apne...
isi tarah likhte rahe..
भाव और िवचार के समन्वय से रचना प्रभावशाली हो गई है । अच्छा िलखा है आपने ।-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
बहुत सुंदर भावः से ओत प्रोत है आप की रचना...बधाई...
नीरज
पहली बार आपके लिखे एहसास पढे ..अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आना ..शुक्रिया
aapka likha padha to Dil ko jo ehsaas hua...wo byan kaise karun. bahut acha likhti hain aap. congrats
गिर के जमी पर होगी उनकी रुसवाई
इसलिए आँखों में इन मोतियों को छुपा लेती हूँ।"
बहुत ही बढ़िया श्रुतिजी. एक दम मन के करीब सा. बधाई.
मेरे ब्लॉग (meridayari.blogspot.com) पर आप आए और उत्साह बढाया, शुक्रिया.
अपना ये दौरा नियमित बनाये रखें.
sweet poem...
यही कहेंगे...भई वाह !!!
गिर के जमी पर होगी उनकी रुसवाई
इसलिए आँखों में इन मोतियों को छुपा लेती हूँ।।"
bahut achchha likha tatha sundar photo hai.
गिर के जमी पर होगी उनकी रुसवाई
इसलिए आँखों में इन मोतियों को छुपा लेती हूँ।।"
शायद सार यही है सभी अहसासों का......
देरी के लिए मुआफी .एक छुट्टी ओर पेशे की मजबूरी में वक़्त लगा....सोमवार से फ़िर छुट्टी पर जाना है....आज आपके इस कविताई रूप से भी परिचित हुए ...
"जर कस के पकडो इन अहसासों को
बहुत मशहूर है इनकी बेवफाई के किस्से "
वाह!! बहुत खूब!! खास जबलपुरी दाद वो भी फिलहाल जबलपुर से ही-आगे टोरंटो से देते रहने के वादे के साथ. :)
bahut sundar likha hai aapne is post me
bas likhna jaari rakhiye
ओह क्या अहसास है. लकिन जो दिल मैं है वो बता देना चाहिय. सुंदर काव्य पक्तिया.
एहसासों को kandraon me kyun kaid kartin hain inhen ujagar hone den....
बहुत ही मार्मिक अहसास है बहुत अच्छी रचना है।
merichopal.blogspot.com
ह्रदयस्पर्शी - हार्दिक शुभकामनाएं
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