Saturday, December 20, 2008

कुछ अहसास...



" कुछ अहसास ओस की बूंदो के जैसे
करते है रुह को ताजा ...


कुछ अहसास ठंडी हवा की तरह
देते हैं मन की अगन को सुकून...


कुछ अहसास भीगे होठों की तरह
भरते हैं बंजर जमी में नमी...


कुछ अहसास प्रेम की बूँदों के जैसे
आंखों से बहने से पहले संभल जाते हैं...


गिर के जमी पर होगी उनकी रुसवाई
इसलिए आँखों में इन मोतियों को छुपा लेती हूँ।।"


(इन अहसासों को मन के कंदराओं में कहीं छिपा कर रखा है..लेकिन लाख छिपाने के बाद भी ये अहसास मेरे चेहरे की मुस्कुराहट में झलक जाते हैं...)

20 comments:

Vinay said...

बहुत उम्दा ख़्याल!

दिगम्बर नासवा said...

आपने अपने ही अंदाज़ में लिखा है एहसासों को
बहुत खूब

मैंने भी आज ही एहसास के बारे में कुछ लिखा है

ravindra vyas said...

फोटोज सुंदर हैं।

विधुल्लता said...

कुछ अहसास प्रेम की बूँदों के जैसे
tum to gahrai selikhti ho..badhiyaabadhai

Unknown said...

bahut bhadiya likha hai apne...
isi tarah likhte rahe..

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

भाव और िवचार के समन्वय से रचना प्रभावशाली हो गई है । अच्छा िलखा है आपने ।-

http://www.ashokvichar.blogspot.com

नीरज गोस्वामी said...

बहुत सुंदर भावः से ओत प्रोत है आप की रचना...बधाई...
नीरज

रंजू भाटिया said...

पहली बार आपके लिखे एहसास पढे ..अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आना ..शुक्रिया

Dileepraaj Nagpal said...

aapka likha padha to Dil ko jo ehsaas hua...wo byan kaise karun. bahut acha likhti hain aap. congrats

shivraj gujar said...

गिर के जमी पर होगी उनकी रुसवाई
इसलिए आँखों में इन मोतियों को छुपा लेती हूँ।"
बहुत ही बढ़िया श्रुतिजी. एक दम मन के करीब सा. बधाई.
मेरे ब्लॉग (meridayari.blogspot.com) पर आप आए और उत्साह बढाया, शुक्रिया.
अपना ये दौरा नियमित बनाये रखें.

neelima garg said...

sweet poem...

अजित वडनेरकर said...

यही कहेंगे...भई वाह !!!

Bahadur Patel said...

गिर के जमी पर होगी उनकी रुसवाई
इसलिए आँखों में इन मोतियों को छुपा लेती हूँ।।"

bahut achchha likha tatha sundar photo hai.

डॉ .अनुराग said...

गिर के जमी पर होगी उनकी रुसवाई
इसलिए आँखों में इन मोतियों को छुपा लेती हूँ।।"
शायद सार यही है सभी अहसासों का......



देरी के लिए मुआफी .एक छुट्टी ओर पेशे की मजबूरी में वक़्त लगा....सोमवार से फ़िर छुट्टी पर जाना है....आज आपके इस कविताई रूप से भी परिचित हुए ...

"जर कस के पकडो इन अहसासों को
बहुत मशहूर है इनकी बेवफाई के किस्से "

Udan Tashtari said...

वाह!! बहुत खूब!! खास जबलपुरी दाद वो भी फिलहाल जबलपुर से ही-आगे टोरंटो से देते रहने के वादे के साथ. :)

Harshvardhan said...

bahut sundar likha hai aapne is post me
bas likhna jaari rakhiye

इरशाद अली said...

ओह क्या अहसास है. लकिन जो दिल मैं है वो बता देना चाहिय. सुंदर काव्य पक्तिया.

हरकीरत ' हीर' said...

एहसासों को kandraon me kyun kaid kartin hain inhen ujagar hone den....

chopal said...

बहुत ही मार्मिक अहसास है बहुत अच्छी रचना है।

merichopal.blogspot.com

Anonymous said...

ह्रदयस्पर्शी - हार्दिक शुभकामनाएं